Tuesday, November 8, 2011

डायरी के पन्ने

कल अचानक याद आई

वो डायरी

जो रखी थी

मेज की दराज में

आज भी संजोयी रखी थी

उसमें

तुम्हारी जेठ में कुम्भ्लाई काया!

आज भी महकता है

आसाढ़ का वो चमकता दिन

हमारी पहली मुलाकात का

तुम्हारी चटकती मुस्कान का !

सहेजे रखे है,

बरसात के भींगे दिन

लिपटी पड़ी है

भादो की गरजती रातें !

रखे है अनमोल पल

जो कातिकी के मेले में

तुम्हारे साथ बिताये !

और

रखी है पूस की

ठिठुरती काली रात

बंद कमरे का वो

एकांकीपन

डायरी के कुछ पन्ने

फटे पड़े है

रखे है उसमें

पतझर के वो झरते सपने !

कुछ पन्ने अब भी अधूरे है

उन्हें इन्तजार है,

फागुन में

तुम्हारे स्पर्श के

हरे भरे एहसास का !!!!

25 comments:

  1. dairy ke paano se lajwaab rachna nikli hai
    ..............behreen prastuti siddharth ji

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  2. बहुत खूबसूरत एहसास से लबरेज रचना...मुझे बहुत पसंद आई.

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  3. सारे मौसमों का सार संरक्षित है इसमें।

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  4. Thanks Vidhya ji and Praveen Bhai........

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  5. जीवन के हर मौसम का रंग लिए पन्ने ..... बहुत सुंदर

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  6. बेहद सुन्दर प्रकृति के माध्यम से यादों के भावपूर्ण संसार में डूबता उतरता मन....शुभ कामनायें !!!

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  7. खुबसूरत एहसास बेहतरीन प्रस्तुती....

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  8. सुन्दर एहसास भावपूर्ण प्रस्तुती....
    सादर बधाई....

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  9. आज 10 - 11 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    ____________________________________

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  10. बहुत ही अच्छा लिखा है सर!

    सादर

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  11. वाह अहसासो को बहुत खूब संजोया है।

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  12. सुंदर कोमल एहसासों से भरे डायरी के पन्ने ...

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  13. सुन्दर एहसास संरक्षित रहें सदा!
    शुभकामनाएं!

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  14. बहुत कुछ समेटा है डायरी में ...

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  15. ख़ूबसूरत अहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  16. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

    बधाई.

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  17. Sangeeta ji,Dr.Sahiba,Sriprakash ji,Sushma ji,habib ji,Yashwant Ji,Vandana ji,Girija ji,Reena ji,Kailash ji,Rachna ji,aap sabhi ka dhanyawaad..........aapne pasand kiya.........

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