Tuesday, October 26, 2010

जिन्दगी जीने की है कला


जिन्दगी को पूरी तरह से

जीने की कला भला किसे आती है ?


कही ना कही जिन्दगी में हर किसी के

कोई ना कोई कमी तो रह जाती है ?

प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई


दिल की आवाजो का तराना सुनता है हर कोई ,

आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई ,

फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यूँ नहीं नजर आती है!


पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती है .....


हर किसी की जिन्दगी में

कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है !

दिल से जब निकलती है कविता


पूरी ही नजर आती है ,

पर कागजो पर बिछते ही वो क्यूँ अधूरी सी हो जाती है ,

शब्दों के जाल में भावनाए उलझ सी जाती है ,


प्यार,किस्से,कविता सिर्फ दिलो को बहलाते है

अपनी बात समझने में कुछ तो कमी रह जाती है !

हर किसी की निगाहे,मुझे क्यूँ किसी

नयी चीजो को तलाशती नजर आती है,

सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी आखिर क्यूँ रह जाती है !

जिन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है ....


सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ?????

Monday, October 25, 2010

मन ना माने!!!!!!!!

धीर चुकता जा रहा है

आस टूटी फिर बंधी है

समय हँसता जा रहा है

आँख फिर भी पथ निहारे

मन ना माने.........

सुरमुई से खवाब सारे रात में

गहरे उतर कर उस गली को ढूंढते है...

जिसमें रहते है सितारे

मन ना माने

कुछ पलो की याद है

कुछ गंध सांसो की बची है

कुछ उसी में डूबता सा सोचता

जीवन गुजरे अधखुले से होठ

ये कर रहे बातें अधूरी

बंद आँख देखती है फिर पलट कर

वो नज़ारे

मन ना माने!!!!!!!!

Sunday, October 24, 2010

उस दिन......

जब दुनिया की सबसे लम्बी नदी के

अंतिम छोर पर

सूरज डूबता होगा

और दूर तलक रेत ही रेत होगी

जब कोई नहीं होगा आसपास

जब आसमान में कही कही
धुनकी रुई की तरह
सफ़ेद बादल होंगे
छितराए हुए
जब हौले से चलती हवा
हर तरफ फैली
हलके से छुकर
ख़ामोशी का एहसास कराएगी
जब मन में यूँ ही
कुछ गुनगुनाने का ख्याल आएगा
और फिर भी हम चुप रहेंगे
चुप कर मुस्कुराएंगे

जब पुरे जिस्म

में एक अजीब सी हरासत होगी
और मन यूँ ही मचल मचल जायेगा
जब तुम्हारी अंगुलियाँ की छुवन
तुम्हरे पास होने का एहसास कराएगी
हमारी आँखें बंद होगी
और हमारे सपने एक हो जायेंगे
उस दिन......
तुम्हारे लिए नया सवेरा होगा!!!!!

Friday, October 22, 2010

पहली बूंद!


मासूम फूलो से

पहले चटकी कलियों ने देखा

फिजा में बारिश की पहली बूंद!

रुई के कोमल फाहे सी

फिर अनगिनत

बूंद

इधर उधर अटकी पड़ी थी

लेकिन

उस पहली बूंद

के लिए ही

तृषित होठ

सुर्ख कलियों

के

विहस- लरज उठे थे

पहले बूंद ने

चुपके से उसके करीब

आकर कहा था

जगह दो मुझे

अपने प्रतिशारत होटों पर

मेरे पीछे आ रही है दौड़ी

वर्षा की अनगिनत बुँदे

तुम्हारी शरण में तोड़कर

कैद बादल की

काले सजीलेपन की

तब कलियों के

होठ लगे थे खुलने!!!

Sunday, October 17, 2010

गौरवान्वित है आज हर भारतीय

गौरवान्वित है आज हर भारतीय



चार चाँद लग गए हमारी शान मे



कामन वेअलथ खेलों का सफल आयोजन



कर दिखलाया मेरे हिंदुस्तान ने .............





हर पदक के साथ जब



लहराया मेरा तिरंगा शान से



रोम रोम पुलकित हो उठा



गर्व से थिरक उठा हृदय



सारा वातावरण गूँज उठा जब



मेरे कर्र्ण प्रिय राष्ट्र गान से ..................







खेलों की महाशक्ति बनकर



उभर रहा मेरा हिंदुस्तान है



एक -एक पदक के खातिर तरसना हुआ ख़तम



हो गई एक नए युग की शुरुआत है ..................







बेटों संग बेटिओं ने भी खूब नाम कमाया है



कुश्ती के बने सरताज हम



बोक्सिंग मे लोहा मनवाया हमने



अर्जुन से मेरे शूर वीरों ने दिखलाया



हम नहीं हैं किसी से कम ...........





कामन वेअलथ मे जीते हम



अब ओलंपिक की बारी है



पश्चिम को बता देंगे हम



बीसवीं सदी बेशक थी उनकी



इक्कसवीं सदी हमारी है ..............





शुरूआती और समापन समारोह मे



मेरे हिंद की रंग बिरंगी छठा बिखेरी है





दिखला दिया हमने दुनिया को



भारत महज़ जमीं का एक टुकड़ा नहीं



प्रतिभाओं और कितने ही रंगों को समेटे



अपने आप मे ही एक दुर्लभ संसार है...............





संसार के कोने कोने से आने वाले



आप सब लोगों का हार्दिक आभार है



प्यार का कारवां यूं ही चलता रहेगा



मेरे देश मे आना फिर ओल्य्म्पिक मे



हमे आपका इंतज़ार है



हमे आपका इंतज़ार है ........................ 

Sunday, October 10, 2010

मशहूर शायरों की शायरी....

1.
कुछ दिन तो बसो मेरी आँखों में
फिर ख्वाब अगर हो जाओ तो क्या

कोई रंग तो दो मेरे चेहरे को
फिर ज़ख्म अगर महकाओ तो क्या

जब हम ही न महके फिर साहब
तुम बाद-ए-सबा कहलाओ तो क्या

एक आईना था, सो टूट गया
अब खुद से अगर शरमाओ तो क्या

दुनिया भी वही और तुम भी वही
फिर तुमसे आस लगाओ तो क्या

मैं तनहा था, मैं तनहा हूँ
तुम आओ तो क्या, न आओ तो क्या

जब देखने वाला कोई नहीं
बुझ जाओ तो क्या, गहनाओ तो क्या

एक वहम है ये दुनिया इसमें
कुछ खो'ओ तो क्या और पा'ओ तो क्या

है यूं भी ज़ियाँ और यूं भी ज़ियाँ
जी जाओ तो क्या मर जाओ तो क्या
------- उबैदुल्लाह अलीम-----

2.
तेरे इश्क़ की इन्तेहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख, क्या चाहता हूँ

सितम हो कि हो वादा-ए-बे-हिजाबी
कोई बात सब्र-आजमा चाहता हूँ

यह जन्नत मुबारक रहे जाहिदों को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ

सारा सा तो दिल हूँ मगर शोख इतना
वही लनतरानी सुना चाहता हूँ

कोई दम का मेहमान हूँ, ए अहल-ए-महफिल
चिराग-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ
(अल्लामा इकबाल)

Saturday, October 9, 2010

पर मैंने ऐसा नहीं किया!!!!!!

मैं उस दिन आपकी तरफ देख कर मुस्कुराया.....
मैंने सोचा आप मेरी तरफ देखेंगी,पर आपने ऐसा नहीं किया!

मैंने कहा 'मैं आपसे प्यार करता हू"
और इन्तजार किया की आप भी यही कहेंगे.....
मैंने सोचा आप मेरी बात सुन लेंगे,पर आपने ऐसा नहीं किया!!!
मैंने आपसे कहा की बाहर आकर मेरे साथ बैट-बाल खेले
मैंने सोचा की आप मेरे पीछे पीछे आयेंगे ,पर आपने ऐसा नहीं किया!

मैंने एक तस्वीर बनायीं,सिर्फ आपको दिखाने के लिए....
मैंने सोचा आप इससे संभाल कर रखेंगे
पर आपने ऐसा नहीं किया !!!
मुझे कुछ बातें करने के लिए विचार बताने की जरुरत थी.....
मैंने सोचा आप सुनना चाहेंगे,पर आपने ऐसा नहीं किया!
मैंने पुरे किशोरावस्था में आपके करीब आने की कोशिश की....
मैंने सोचा आप भी करीब आना चाहेंगे,पर आपने ऐसा नहीं किया!!!
मैं युद्ध में देश की तरफ से लड़ने गया,आपने मुझे सुरषित घर लौटने
को कहा
पर मैंने ऐसा नहीं किया!!!!!!

Thursday, October 7, 2010

मेरी जान तुम्ही हो

मेरा दिल मेरी मुहब्बत मेरी जान तुम्ही हो
आन -बान ,शान और मेरा ईमान तुम्ही हो


चल कर मंजिले सफ़र में बेमुकाम ठहर गये
जिसका था इन्तजार वो मेहमान तुम्ही हो


मंदिर पे सजदा मस्जिद को दी सलामी
पूजा है जिसे दिल से वो दिले नादान तुम्ही हो


जब सबने ठुकराया तब तुमने दिया सहारा
भूलूंगा नही उम्र भर वो एहसान तुम्ही हो


मील के पत्थरों ने तो खूब भटकाया हमे
अब् तो आखरी मंजिले निशान तुम्ही हो


लोग अक्सर पूंछते हें मेरा मुझसे ठिकाना
अरे मेरा पता और मेरी तो पहचान तुम्ही हो

Sunday, October 3, 2010

आदते हमारा चरित्र बनती है!!!!

हम सभी सफल जिन्दगी जीने के लिए पैदा हुए है,मगर हमारी आदत और माहौल हमको असफलता की और ले जाते है,हमारा जनम जीत के लिए हुआ है,मगर माहौल की वजह से हमने हारना सीख लिया है,हम अक्सर ऐसी बात करते है और सुनते है की उस आदमी की किस्मत अच्छी है,मिटटी को छु दे तो वो सोना बन जाती है,या फिर वो बदकिस्मत है वो कुछ भी छुए मिटटी हो जाती है,मगर ये सच नहीं है,अगर आप जांचे -परखे तो पाएंगे की जाने अनजाने सफल लोग अपने हर काम में वोही गलती दोहराते है ,याद रखे,मेहनत से प्रुनता नहीं आती,बल्कि सिर्फ सही जगह मेहनत करने से से ही प्रुनता आती है,मेहनत हर उस काम को स्थायी बना देती है,कुछ लोग अपने गलतियों से ही सीख लेते है,जिन्हें हम बार बार करते है,कुछ लोग अपनी गलतियों को सुधारते है,और वो उसी काम में परफेक्ट हो जाते है,इसलिए वो गलतियाँ करने में माहिर हो जाते है,और गलतियाँ उनके वाय्वाहर में खुद-ब-खुद आने लगती है,वाव्सयिक लोग अपना काम आसानी से इसलिए कर जाते है क्यूंकि उन्होंने उस काम में महारत हासिल कर रखी है,बहुत से लोग काम सिर्फ तरकी को दिमाग में रख कर करते है,लेकिन वे जिनकी अच्छा काम करने की आदत बन जाती है ,वोही तरकी के असली हकदार है,किसी चीज की आदत डालना खेती करने के समान है,इसमें समय लगता है,ये वक्ति के अपने अन्दर से उपजती है,एक आदत दूसरी आदत को जनम देती है,अन्तप्रेरना एक वक्ती से काम शुरु कराती है,प्रेरणा उसे सही राह पर बनाये रखती है और आदत की वजह से स्थायी रूप ले लेती है,और काम खुद-ब-खुद होता चला जाता है,जब हम खुद को एक बार झूठ बोलने की छुट दे देते है,तो अगली बार झूट बोलना आसान हो जाता है,तीसरी बार थोडा और आसान और फिर आदत बन जाती है,सफलता की फिलोसफी है -कायम रहे और सयम बरते हमारे सोचने का तरीका भी आदत का एक हिस्सा बन जाता है,हम आदत बनाते है और आदत हमारा चरित्र बनता है इससे पहले की आप आदत को अपनाने की सोचे, आदत आपको आना चुकी होती है,हमें सही सोचने की आदत डालने की जरुरत है,किसी ने सच कहा है :-हमारे विचार काम की तरफ ले जाते है,काम से आदत बनती है,आदतों से चरित्र बनता है और चरित्र से भविष्य बनता है....

जिन्दगी को तबाह करना पड़ा !!!!!

जिन्दगी से निबाह करना पड़ा


इसलिए ही गुनाह करना पड़ा

वक़्त ऐसा भी हम पर गुजरा जब


आह भर भर कर वाह करना पड़ा


उनकी महफ़िल में रोशनी के लिए


कितनो को आत्मदाह करना पड़ा


अर्थ -वेदी पर भावनाओ को


आंसुओं से विवाह करना पड़ा


चंद गीतों की जिन्दगी के लिए


जिन्दगी को तबाह करना पड़ा !!!!!

Friday, October 1, 2010

किसी की आखिरी निशानी

हर जख्म किसी की ठोकर की मेहरबानी है

मेरी जिन्दगी एक किस्सा एक कहानी है !!!!

मिटा देते इस दर्द को दिल से

पर ये दर्द तो किसी की आखिरी निशानी है !!!!!

शीशा

मजाक मजाक में वो यूँ ही हम से रूठ गए
सारे अरमान मेरे टूट गए........
नफरत का ढोंग उन्होंने ऐसा रचाया
की वो पत्थर बनकर जीने लगे,
और हम शीशा बनकर टूट गए.....