चुप भी रहते है तो एक तर्ज-ए -बया रखते है ,
हम वो कतरा है जो दरिया की जुबा रखते है !
लोग होते है वोही दुनिया में साहसी
साथ अपने जो चिरागों का धुआ रखते है !
सब से छुटा है तेरा साथ ,तेरे दीवाने
मोम के शहर में धागों की दुकान रखते है !
इश्क की जंग में सब हारे हुए शहजादे
चांदनी,धुल,हवा ,उजड़े मका रखते है !
दोस्तों,आग का,पानी से पता देते है
सिर्फ आंसू है जो दर्द का पता रखते है !
कितने बेदर्द है इस शहर के रहने वाले
दर्द होता है जहा हाथ वहा रखते है !
हमको सीने से लगा ले हमें मायूस न कर
जिन्दगी हम जो तेरा बहमो-गुमान रखते है !
पार कर देते है जो लोग दुःख का दरिया
वक़्त की रेत पर गजलो के निशा रखते है !!!