आज फिर किसी
मंगरू के घर
चूल्हा नहीं जला है
और भूख से तड़पकर
पानी पी कर सो गयी है
उसकी बेटी मुनिया
आज फिर किसी
बुधुवा का बेटा
दवा के अभाव
में दम तोड़ दिया है
चिता के लिए
लकड़ी के पैसे नहीं रहने के
कारण
दफना आया है वो
उसकी लाश को
आज फिर किसी इतवारी की इज्जत लुट
हत्या कर दी गयी है
अखबार वालो को एक
अच्छी खबर मिल गयी है
आज फिर किसी
शनिचरा की बेटी
जला दी गयी है
दहेज़ के लिए
एक बीघा जमीन गिरवी रख
क्रियाकर्म का खर्च निकाल पाया है वो
सोमरा का एम.ए
पास बेटा
नौकरी के लिए भटकने के बाद
खोल कर बैठ गया
हडिया(लोकल शराब) की दुकान
पीता है,पिलाता है
ये बात आम है
फिर भी भारत महान है !!!!
Tuesday, August 16, 2011
Thursday, August 11, 2011
बस तुम थी.......... बस मै था
रात का पहर था
सुनसान सा शहर था
ठिठुर रही थी चांदनी
ठण्ड का कहर था
बस तुम थी
बस मै था
सीप में ज्यों मोती सी थी
दूरियां बस उतनी सी थी
गर्म साँसों की धधक से
लहू में लावा भभक रहा था
बस तुम थी
बस मै था
नजरे फिर दो ऎसी मिली
सागर में कोई नदी मिली
मदहोश वो शमां था
आगोश में जहां था
बस तुम थी
बस मै था
काँधे पर से जब जुल्फ हटा
लगा जैसे कोइ छटा घटा
मानो कोइ सरगम बजी
जब लबो का स्पर्श हुआ
बस तुम थी
बस मै था
सिमट गयी सब दूरियां
कमरे में एक भंवर था
कली कोइ ऐसे खिली
रात गया ठहर सा
बस तुम थी
बस मै था
फिर ना जाने क्या हुआ
जुगनुओं के शोरगुल में
प्यार के कौतहुल में
एक दोनों ऐसे हुए
तुम बस तुम ना रही
मै बस मै ना रहा...--*--*--*--*--*---*--*--
Monday, August 8, 2011
उसकी मुस्कराहट
धूप ने आकर नन्ही बच्ची के गालो पर
अपने हाथ पोछ दिए
और बच्ची धीरे धीरे फूल में बदलने लगी
उसकी मुस्कराहट अब
फूल की मुस्कान थी
जो खुशबू बन कर
उड़ रही थी चारो और
उड़ते उड़ते वो खुशबू
जो असल में मुस्कराहट थी
उस नन्ही बच्ची की
एक चिड़िया में बदल गयी
जो फुदकने लगी यहाँ- वहा
अब इस मुस्कराहट के पंख थे
और आवाज भी
अब इससे हर कोई सुन सकता था !
चिड़िया बन कर मुस्कराहट
उड़ने लगी खुले आकाश में
हवा बही हर दिशा में
बहते बहते हवा बदल गयी नदी में
मुस्कराहट अब बह रही थी नदी में
मुस्कुराहट अब बह रही थी नदी बन कर
कही शांत,कही उफान पर
आखिरकार नदी मिल गयी समुन्दर में
और मुस्कराहट फैल गयी पूरी पृथ्वी पर
बच्ची की मुस्कुराहट
अब पृथ्वी की मुस्कुराहट थी!!!!!
अपने हाथ पोछ दिए
और बच्ची धीरे धीरे फूल में बदलने लगी
उसकी मुस्कराहट अब
फूल की मुस्कान थी
जो खुशबू बन कर
उड़ रही थी चारो और
उड़ते उड़ते वो खुशबू
जो असल में मुस्कराहट थी
उस नन्ही बच्ची की
एक चिड़िया में बदल गयी
जो फुदकने लगी यहाँ- वहा
अब इस मुस्कराहट के पंख थे
और आवाज भी
अब इससे हर कोई सुन सकता था !
चिड़िया बन कर मुस्कराहट
उड़ने लगी खुले आकाश में
हवा बही हर दिशा में
बहते बहते हवा बदल गयी नदी में
मुस्कराहट अब बह रही थी नदी में
मुस्कुराहट अब बह रही थी नदी बन कर
कही शांत,कही उफान पर
आखिरकार नदी मिल गयी समुन्दर में
और मुस्कराहट फैल गयी पूरी पृथ्वी पर
बच्ची की मुस्कुराहट
अब पृथ्वी की मुस्कुराहट थी!!!!!
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