Monday, January 31, 2011

तुम लगे और भी पास आते हुए......


जब भी देखूं तुम्हे

दूर जाते हुए!


तुम लगे और भी

पास आते हुए......!!


धड़कने हर कदम

तेरी तस्वीर से!

बात करती रही

मुस्कुराते हुए.....!!


खिली धुप में

तो कभी छाव में!

साथ बैठे हुए

गुनगुनाते हो.....!!


घर बसाने ना दे

जो जमाना उसे!

दम है तो रोके तो

दिल में बसाते हुए..........!!


आ भी जाओ

चले चाँद के पार हम !

सब की नजरो से

बचते बचाते हुए.......!!


मैं कुवर तू हो जाओ

गगन की परी !

खुल कर आँचल

हवा में उड़ाते हुए.......!!

Monday, January 24, 2011

समेट लू!!!!

वक़्त-ऐ- सफ़र करीब है बिस्तर समेट लू
बिखरा हुआ है हयात का दफ्तर समेट लू.!
फिर जाने हम मिले ना मिले एक जरा रुको
मैं दिल के आईने में ये मंजर समेट लू....
गैरो ने जो सुलूक किये उनका क्या गिला
फेके है दोस्तों ने जो पत्थर समेट लू!
कल जाने कैसे होंगे कहा होंगे घर के लोग
आँखों में एक बार भरा घर समेट लू!
"सिद्धार्थ" भड़क रही है ज़माने में जितनी आग
जी चाहता है सीने के अन्दर समेट लू!!!!