पतझर आता जाता है
फिर,नए मौसम होते है
नयी कलियाँ खिलती है
मगर बूढ़े बरगदो के वो ही
जस्बात होते है
जीवन की तपती धुप में
कोई मौसम हो
राही के साथी बन कर
शीतल छाव देते है
बूढ़े बरगदो के साए
सौगाते होते है
पैदा हुए और पाले
पेड़ के नीचे
वे ही नाग बनकर
जड़े खोखली करते है
फिर भी,बूढ़े बरगदो के
हौसले कम नहीं होते !
जहा लोगो के दिल में
अविश्वास के पौधे
पनपते रहते है
दोस्त हो या अपने
अब लोग,
गले नहीं मिलते
वह मधुर रिश्ते
नहीं होते है
इसलिए इस दौर में
कही बूढ़े बरगद के
साये नहीं होते !
अब हर जगह
बूढ़े बरगद नहीं मिलते
जहा होते है
राही का साथी बन कर
शीतल छाव देते है
बुद्धे बरगदो के
साये सौगात होते है !!!!