Tuesday, January 8, 2013

इक स्वप्न का सफ़र

इक स्वप्न का सफ़र        हम तय कर ही आये  अतियथार्थ की वादी में आओ,हम दोनों मुड़ आये अब इस घर की हवा और है                  आओ हम दोनों मिलकर                    नए सिरे से                    इस घर को एक बार सजाएँ पुतवा दे कालिख घर की दीवारों पर एक सुलगती सिगरेट मैटेलपिस पर  रख कर और उसके ऊपर "ऐश -ट्रे "को  रख दे और जलाये  मोमबत्तियां --                       छ त के नीचे को लटकाए बीचोबीच फर्श पर  अपने   गंदे कपडे  भींगे सूखने डाले   जिस शीशे का  मर  उस्सी को कमरे में लटकाए  अपने  चेहरे निखरे - परखे  फिर  हम एक दूजे को        हसे  और शरमाये !!!!!