वे गूंगे है वे बोल नहीं सकते है
जो बोल सकते है वे चुप है
वे अंधे है वे देख नहीं सकते है
जो देख सकते है उनकी आँखें बंद है
वे बहरे है वे सुन नहीं सकते है
जो सुन सकते है
लेकिन सुनना नहीं चाहते है
वे सब खामोश है
क्यूंकि वे ख़ामोशी चाहते है
वे हाड-मांस के पुतले है
फिर भी खामोश है
वे नहीं चाहते है ,सुनना ,बोलना,देखना
अब वे पत्थर हो चुके है
पत्थर बोलते नहीं चुप रहते है !!!!!