खवाब
ना कोई खवाब हमारे है ना ताबीरे है !
हम तो पानी पर बनायीं हुयी तस्वीरे है!!
लुट गए मुफ्त में दोनों ,तेरी दौलत मेरा दिल !
ए दोस्त !तेरी मेरी एक सी तकदीरे है !!
कोई अफवाह गला कट ना डाले अपना !
ये जुबाने है की चलती हुयी शमशीरे है !!
हम तो नक्वादा (अनपढ़)नहीं है तो चलो आओ पढ़े !
वो जो दिवार पर लिखी हुयी तहरीरे है !!
हो ना हो ये कोई सच बोलने वाला है "सिद्धार्थ"!
जिसके हाथों में कलम पाँव में जंजीरे है !!
बेहतरीन, ऐसे ही लिखते रहें।
ReplyDeleteवाह क्या खूब कहा है आखिरी शेर ।
ReplyDeleteबहुत बढि़या ।
ReplyDeleteबेहतरीन शेर....
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