Saturday, October 29, 2011

खवाब


ना कोई खवाब हमारे है ना ताबीरे है !
हम तो पानी पर बनायीं हुयी तस्वीरे है!!


लुट गए मुफ्त में दोनों ,तेरी दौलत मेरा दिल !

ए दोस्त !तेरी मेरी एक सी तकदीरे है !!

कोई अफवाह गला कट ना डाले अपना !


ये जुबाने है की चलती हुयी शमशीरे है !!


हम तो नक्वादा (अनपढ़)नहीं है तो चलो आओ पढ़े !


वो जो दिवार पर लिखी हुयी तहरीरे है !!



हो ना हो ये कोई सच बोलने वाला है "सिद्धार्थ"!


जिसके हाथों में कलम पाँव में जंजीरे है !!

4 comments:

  1. बेहतरीन, ऐसे ही लिखते रहें।

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  2. वाह क्या खूब कहा है आखिरी शेर ।

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  3. बहुत बढि़या ।

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