Monday, November 19, 2012

सपने में आना तुम !!!!

बरसे जब 

रात भर 


सपनो में आना तुम !

रह-रह यादों की 



झील जब उमड़ 



पलकों पर लाज का 





पहरा जब पड़ जाए 



चुपके से 



दबे पाँव गुमसुम 



सपनो में आना तुम!






नेह के उपवन में 



महके जब पारिजात 



शरमा के पूनम का 



चाँद जब तमाम रात 



बदलो की ओट में हो जाए गुम 



सपनो में आना तुम!






चांदनी सिमट जाए 



शबनम की बाहों में 



भोर जब बिछा जाए 



बीथियों में,राहो में 




रश्मियों के 



लल्चोह्ये बिदुम 



सपने में आना तुम !!!!

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