वो रोज पाँच रुपया के चार गोलगप्पे खिलाता था
आज उसने पाँच रुपया के तीन दिए
मैंने पूछा दाम क्यूँ ज्यादा कर दिए
वो बोला"सर,पेट्रोल के इंटरनेशनल कीमतों और
रुपया-डालर के मूल्यों के आधार पर
मैं गोल गप्पे के दाम तय करता हु
पानी फ्री है
क्यूंकि पास की नदी से भरता हू
आपको कोई आपति है
तो कही और जा कर खाइए
ज्यादा बहस करनी हो तो संसद में जाइये
वह बहस में ऐसे ही मुद्दे आते है
गोल गोल पेट वाले
गप्पे लगा कर
कैंटीन में सस्ते
गोल गप्पे खाते है
मैं बोला,सब ठीक है भैया
पर पेट्रोल की कीमतों का
गोल गप्पे से क्या है नाता ?
क्या तू,गोल गप्पो के साथ पेट्रोल है पिलाता
वो बोला,
गोल गप्पे बेचने पेट्रोल की कार से आता हू
वो देखो सामने खड़ी है
कितनी बड़ी है ?
गोल गप्पो से भरी पड़ी है
मेरी पास ऐसी चार गाड़ियाँ है
पत्नी के पास हजार साड़ियाँ है
बेटा कंपनी में सी इ ओ है
बहू बैंक में पीओ है
फिर भी,सड़क पर खड़े हो कर
मैं गोल गप्पे बेचता हू
क्यूंकि,मैं आदमी सड़क का हू
आदमी सड़क का हू!!!!!
siddharth सिन्हा,रांची 31 /10 /2012