Monday, September 27, 2010

बिटिया सयानी हो गयी है

सड़क पर कोई आया तो नहीं,


शायद आया?कब आया?


क्यों आया?किधर देखता है?


किसे देखता है?क्यों देखता है?


क्या बोला?नहीं बोला नहीं,


बस फुसफुसाया,पर क्यों?


दिल धड़कने लगा है मेरा,पर क्यों?


नहीं, ऐसा कुछ नहीं है,वो तो पढ़ रही है,


परीक्षा की तयारी कर रही है,खिड़की भी बंद है,


कौन था वो,जरा देखूं तो,अरे कोरियर वाला,


चला भी गया,मैं भी नाहक, परेशां,


फिर क्यों धड़कने लगता है मेरा दिल,


कुछ भी खटपट से चोंक जाता हूँ मैं?


करूं भी तो और क्या?


बिटिया सयानी हो गयी है,


हर पल यही चिंता सताती है....


बस ऊंच नीच के डर की..

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