सिर्फ तुम.......
Wednesday, January 18, 2012
क्योंकि तुम मुझे मुझसे ज़्यादा जानती हो।
मुझे आज तक
कभी तुमसे कुछ कहना नहीं पड़ा
तुम हमेशा
मुझे देखकर समझ जाती हो
…कि आज ‘मूड’ अच्छा है,
... …कि आज कुछ उखड़ा-उखड़ा है।
…कि आज हम घंटों बतियाएंगे
…कि आज बिना हाथ हिलाए ही
चले जाएंगे
अपने-अपने घर!
तुम्हें
अक़्सर पता होता है
कि कब मुझे तुम्हारा हाथ चाहिए
ताली मारने के लिये,
…ठहाका लगाने से पहले।
और कब तुम्हारा कंधा,
देर तक सुबकने के लिए!
तुमने कई बार मेरे शक़ को यक़ीन मे बदला है
कि सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम ही
मुझे मुझसे ज़्यादा जानती हो।
और इसीलिए
मैं आज तक
तुमसे कभी नहीं कह पाया
कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
क्योंकि हमेशा मुझे लगा
कि शायद मैं तुमसे प्यार करता ही नहीं
अगर करता
तो तुम बहुत पहले ही मुझे बता चुकी होतीं
…क्योंकि तुम
मुझे मुझसे ज़्यादा जानती हो।
2 comments:
प्रवीण पाण्डेय
January 19, 2012 at 5:13 AM
बड़ी अच्छी पंक्तियाँ..
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विभूति"
January 19, 2012 at 5:48 AM
एक अलग अंदाज़......बहुत ही प्यारी और खुबसूरत अभिवयक्ति.....
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बड़ी अच्छी पंक्तियाँ..
ReplyDeleteएक अलग अंदाज़......बहुत ही प्यारी और खुबसूरत अभिवयक्ति.....
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