प्रेम पत्रों में रौशनी होती है
और एक गहन अँधेरा भी
चमकती हुयी पीड़ा होती है
तो पपड़ाये होठो पर राखी
मुस्कान भी.......
अठखेलियों होती है कही
तो उबशियाँ लेती है गहन उदासी भी
सहराओ में साहिलों की तलाश
होती है प्रेम पत्र में......
और चाँद तारो को ठुकरा देने की
चाह भी कम नहीं होती.........
पडोसी की बातें खूब विस्तार से
सहेली के प्रेम का जुगराफिया
और उसका विश्लेषण पूरा
हां!बस अपना ही किस्सा अधुरा....
लिखी होती है देर रात बिल्लियों की
रोती हुयी
आवाजो में लिपटी दुखद
आगत की आशंका
साथ ही देश के हालत की चिंता भी
नयी दुनिया बनाने का सपना होता है
तो खवाब
किसी की दुनिया बन जाने का भी
वो जो खबर थी ना अखबार में
प्रेमियों की हत्या वाली
उससे दहल भी गया है प्रेम पत्र
ताकीद है पढ़ कर फाड़ देने की
वादा एक-दुसरे का नाम भी ना लेने का
हिदायत अपना ख्याल रखने की
और भूल जाने की उन आखों को
जिन्हें देखे एक जमाना हुआ.....
दूर देश के मौसम को टटोलते हुए
खीच कर उसे ओढ़ लेने की हसरत
नहीं लिखी है प्रेम पत्र में
और एक गहन अँधेरा भी
चमकती हुयी पीड़ा होती है
तो पपड़ाये होठो पर राखी
मुस्कान भी.......
अठखेलियों होती है कही
तो उबशियाँ लेती है गहन उदासी भी
सहराओ में साहिलों की तलाश
होती है प्रेम पत्र में......
और चाँद तारो को ठुकरा देने की
चाह भी कम नहीं होती.........
पडोसी की बातें खूब विस्तार से
सहेली के प्रेम का जुगराफिया
और उसका विश्लेषण पूरा
हां!बस अपना ही किस्सा अधुरा....
लिखी होती है देर रात बिल्लियों की
रोती हुयी
आवाजो में लिपटी दुखद
आगत की आशंका
साथ ही देश के हालत की चिंता भी
नयी दुनिया बनाने का सपना होता है
तो खवाब
किसी की दुनिया बन जाने का भी
वो जो खबर थी ना अखबार में
प्रेमियों की हत्या वाली
उससे दहल भी गया है प्रेम पत्र
ताकीद है पढ़ कर फाड़ देने की
वादा एक-दुसरे का नाम भी ना लेने का
हिदायत अपना ख्याल रखने की
और भूल जाने की उन आखों को
जिन्हें देखे एक जमाना हुआ.....
दूर देश के मौसम को टटोलते हुए
खीच कर उसे ओढ़ लेने की हसरत
नहीं लिखी है प्रेम पत्र में
बचपन के किस्सों में ना जाने कब
जुड़ गया था तुम्हारा भी हिस्सा
रह गया था यह जिक्र आते -आते
आँखों में ना जाने क्यूँ
सीलन सी रहती है इन दिनों
बड़े दिन हुए मन की मरमत कराये
लिखते लिखते रुक गए थे हाथ
कापते हाथों नें बस
इतना लिखा था
वो लगाया था ना जो पौधा
पिछले महीने
तुम्हे लिखा था,जिसके बारे में
आज फूल आया है उसमें
लिखा है प्रेम पत्र में की
इनदिनों कलेजा छलनी नहीं होता
किसी तलवार से ना जाने कैसे छुट गया
लिखना की
मेरे दुःख को मत छुना
वरना कट जायेगा तुम्हारा हाथ
जुड़ गया था तुम्हारा भी हिस्सा
रह गया था यह जिक्र आते -आते
आँखों में ना जाने क्यूँ
सीलन सी रहती है इन दिनों
बड़े दिन हुए मन की मरमत कराये
लिखते लिखते रुक गए थे हाथ
कापते हाथों नें बस
इतना लिखा था
वो लगाया था ना जो पौधा
पिछले महीने
तुम्हे लिखा था,जिसके बारे में
आज फूल आया है उसमें
लिखा है प्रेम पत्र में की
इनदिनों कलेजा छलनी नहीं होता
किसी तलवार से ना जाने कैसे छुट गया
लिखना की
मेरे दुःख को मत छुना
वरना कट जायेगा तुम्हारा हाथ
प्रेम पत्र में लिखा होता है सब कुछ
बस नहीं लिखा होता है प्रेम
क्यूंकि प्रेम लिखने से पहले
एक मौन नदी गुजरती है
और बहा ले जाती है समूचा पत्र
लौट आते है प्रेमी अपनी ही दुनिया से
जुट जाते है कोशिश में
खुद के खांचे में फिट होने की.....
अधूरे ही रह जाते है प्रेम पत्र अक्सर
जैसे अधूरी रह जाती है प्रेम की दास्तानें...
अपने अन्दर एक दुनिया समेटे प्रेम पत्र..
ReplyDeleteबेहद मार्मिक,भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत
ReplyDeleteऔर कोमल भावो की अभिवयक्ति......