लगी तुम्हारी याद सताने फागुन में
बांस लगे बासुरी बजाने फागुन में
नाच उठी छवि आँखों में
सिवानो की
सुधिया हुयी सयानी
घर खलिहानों की
साँझ लगी घूँघट सरकाने फागुन में
अलसाई -सी दिखे
नदी अब रेतो में
बजे रात भर हसिया कंगन
खेतो में
लगी चांदनी नेह चुराने फागुन में
दवरी करके अन्न ओसाना
गोरी का
आँचल में आँखे उलझाना
गोरी का
ढाई आखर लगी लुटाने फागुन में !!!
बांस लगे बासुरी बजाने फागुन में
नाच उठी छवि आँखों में
सिवानो की
सुधिया हुयी सयानी
घर खलिहानों की
साँझ लगी घूँघट सरकाने फागुन में
अलसाई -सी दिखे
नदी अब रेतो में
बजे रात भर हसिया कंगन
खेतो में
लगी चांदनी नेह चुराने फागुन में
दवरी करके अन्न ओसाना
गोरी का
आँचल में आँखे उलझाना
गोरी का
ढाई आखर लगी लुटाने फागुन में !!!
बेहतरीन..आपका फागुन ऐसे ही महकता हुये बीते..
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