Monday, November 19, 2012

सपने में आना तुम !!!!

बरसे जब 

रात भर 


सपनो में आना तुम !

रह-रह यादों की 



झील जब उमड़ 



पलकों पर लाज का 





पहरा जब पड़ जाए 



चुपके से 



दबे पाँव गुमसुम 



सपनो में आना तुम!






नेह के उपवन में 



महके जब पारिजात 



शरमा के पूनम का 



चाँद जब तमाम रात 



बदलो की ओट में हो जाए गुम 



सपनो में आना तुम!






चांदनी सिमट जाए 



शबनम की बाहों में 



भोर जब बिछा जाए 



बीथियों में,राहो में 




रश्मियों के 



लल्चोह्ये बिदुम 



सपने में आना तुम !!!!

Sunday, November 18, 2012

सपने सच नहीं होते !!!!

पिता की  कमर 
नहीं थी झुकी 
और उनके चौड़े  कन्धे पर 
खेल रहा था मैं 
गिलहरी की तरह 

मैं जा रहा था स्कूल 
पीठ पर लादे  बक्सा 
और खेल रही थी  बहिन 
मैदान में निर्भय ......
खोदी जा रही थी नीव 
 खूब गहरी ....
 एक  मकान के लिए 
ज्योंकि पिता का सपना था 
पिता के पिता का भी 
और
मजदूर  तैयार कर रहे थे गारा 
माँ पका रही थी 
धीमी आंच पर सोंधी रोटी 
उनके लिए .......
माँ खुश थी 
पिता से अधिक 
पिता खुश थे 
माँ से अधिक 
अचानक झटके से टूटी  नींद 
मैं देख रहा था सपना 
सपने में खुश थी माँ ,पिता और मैं भी 
भयभीत  हू  मैं 
सुना है ------
पिता की  कमर 
नहीं थी झुकी 
और उनके चौड़े  कन्धे पर 
खेल रहा था मैं 
गिलहरी की तरह 

मैं जा रहा था स्कूल 
पीठ पर लादे  बक्सा 
और खेल रही थी  बहिन 
मैदान में निर्भय ......
खोदी जा रही थी नीव 
 खूब गहरी ....
 एक  मकान के लिए 
ज्योंकि पिता का सपना था 
पिता के पिता का भी 
और
मजदूर  तैयार कर रहे थे गारा 
माँ पका रही थी 
धीमी आंच पर सोंधी रोटी 
उनके लिए .......
माँ खुश थी 
पिता से अधिक 
पिता खुश थे 
माँ से अधिक 
अचानक झटके से टूटी  नींद 
मैं देख रहा था सपना 
सपने में खुश थी माँ ,पिता और मैं भी 
भयभीत  हू  मैं 
सुना है ------
सपने सच नहीं होते !!!!
     सिद्धार्थ सिन्हा ,राँची