Thursday, March 25, 2010

शायद इसी को कहते है प्यार!!!!!!!!!!!


करता हू तुम से प्यार शायद नहीं तुमको यह एहसास जीना चाहता था तुम्हारे साथ पर अब तुम से जुदा होकर पल पल मर रहा हू मैं तुम्हे देखना तो दूर एक दीदार के लिए तरस रहा हू काश मेरे प्यार का होता तुम्हे एहसास तो मैं दूर नहीं तुम्हारे पास होता मुझे पता है तुम कभी नहीं आओगी जिन्दगी भर मुझे तड़पपाओगी फिर भी करता हू तुम्हारा इन्तजार शायद इसी को कहते है प्यार!!!!!!!!!!!

अब नयी सुबह लानी है अभी....


एक सुबह की तलाश में हम कितने अँधेरे पाएंगे कब तक आँखें मूंद कर हम हकीकत से मुह मोड़ पाएंगे गरीबो के लहू क्यूँ बहते है हक मांगने के एवज में जो दिए जला सकते नहीं किस हक से घर जलाते है क्यूँ खेत उजाड़े जाते है क्यूँ आवाज दबाई जाती है क्यूँ मसीहा ही कातिल बने वो भरोसा के काबिल कैसे रहे जुल्म की हुकूमत और नहीं सितम की सियासत मिटानी है अभी रात की गुलामी बहुत हुई अब नयी सुबह लानी है अभी....

जिम्मेदारी कितने लोग निभाते है ....??

शहीदों से कुछ सीखेंगे ...कुछ गुण उधार लेंगे ....

देश के बाहर वालों को भी हम संभाल लेंगे,

कोशिश करेंगे सभ्यता-संस्कृति को रखें बचाए....

पर अन्दर बैठे भेडियों का क्या उखाड़ लेंगे .........????


करोडों मिलेंगे ......देश को खोखला करने वाले ........

और साथ निभाने वाले देश भक्ति के नाम पर ...

फिल्म, एल्बम ..shows का बाजार लगा देंगे ........

दोस्तों समस्याओं से तो सभी घबराते हैं,

देश के हालत टीवी पर सुनते हें ....महफिलों में जताते है ...

पर सवाल है के, जिम्मेदारी कितने लोग निभाते है ....??

अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

जियेंगे मगर मुस्कुरा ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

लबों पे तराने अब आ ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

बहारें चमन में जब आया करेंगी,

नज़ारों की महफ़िल सजाया करेंगी,

नज़ारें भी हमको हँसा ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

जवानी जो लायेगी सावन की रातें,

ज़माना करेगा मोहब्बत की बातें,

मगर ......हम ये सावन मना ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है