Friday, January 15, 2010

अजीब लड़का हू.............


अजीब लड़का हू खुद की जलना चाहता हू मैं

खुद को कही रख कर भूल जाना चाहता हू मैं

मेरे नसीब की खुशियाँ भी कब मिली मुझको

बस एक बार उम्र भर के आंशु बहाना चाहता हू मैं

न जाने कितनी मोहोब्बत है रंजोगम से मुझे

कोई भी दर्द हो दिल में छुपाना चाहता हू मैं

बहा बहा कर आंशु बिखेर चुका हू मैं

सिमट कर जरा अब मुस्कुराना चाहता हू मैं

जिसे एक उम्र दिल में छुपाये रखा है

वो राज आज सब को बताना चाहता हू मैं

वोही है याद जो अच कहा है लोगों ने

बाकी सब भूल जाना चाहता हू मैं

मुझे ज़माने ने पत्थर समझ लिया है मगर

मैं एक लड़का हू सब को बताना चाहता हू मैं

मुझसे जो रूठ गयी है ज़माने की खुशियाँ

तो उन खुशियों से भी रूठ जाना चाहता हू मैं

अजीब लड़का हू.............

जंगल में


भेज दो अपनी बेटियों को जंगल में

खुद से सवर जाएँगी बैखोफ्फ़

चाँद पर उतर जाएगी

क्यूँ की,बस और ट्रेन वहा नहीं चलती

कारो में लिफ्ट देने का चलन भी नहीं है वहा

और तो और पुलिस है न उसका आदमी ही

बचना आबरू का लाजमी है

जंगल में जब कभी वापस वहा से आएँगी

इतना तो जरुर सीख जाएँगी

दम पर अपने ही जानवरों से

निपटना सीख जाएँगी!!!!!!!!!!!!

गुनाह का हक


हर नजर को एक निगाह का हक है,
हर रूह को एक आह का हक है,
हम भी तो दिल लेकर आये है दुनिया में
हमें भी एक गुनाह का हक है..........

सिर्फ तुम......

इबादत के बाद सर उठाया

तुम्हारा ही चेहरा नजर आया

चाहा खुदा का शुक्रिया कहू

होठ अपने आप मुस्कुराया

न चाहत है मजबूरी की

ना जिन्दगी है जरुरी सी

क्यूँ प्यार को इतना प्यार किया

की प्यार को तुमपर प्यार आया

आँखें बंद की तो खवाब तुम्हारा आया

होठ खुले तो नाम तुम्हारा आया

जाने क्या हुआ है इस दिल को

बीमार सा रहने लगा है तुम से मिल कर

जहा नजर जाये तुम्हारा ही चेहरा झिलमिलाये

जहा देखू तुम हो,जहा सोचु तुम हो

महसूस करू तुम हो तुम, सिर्फ तुम सिर्फ तुम.......