Thursday, May 19, 2011

जैसा बादल वैसा सावन !!


भार विहीन हुआ हर बंधन !
देख रहा हू निर्जन दर्पण !!

जिन पत्तों पर फेका पानी !
उनमें था एक अपनापन !!


निजता की पहचान यही है !

धरम गहनतम कर्म सनातन!!


एक दूजे को ताक रहे है !


भीतर से घर बाहर आँगन!!

पहला और अंतिम सोच रहा !


कुंदन -सा मन चन्दन सा तन!!


पानी तेरा दोष नहीं है !


जैसा बादल वैसा सावन !!

Tuesday, May 17, 2011

एतबार


हसरते दिल में आबाद करने से

दर्द पाओगे प्यार करने से

राज दिल कह दो मगर सोच लो एक दिन

मारे जाओगे एतबार करने से

खुबसूरत तो बहुत है दुनिया में

रुसवा हो जाओगे दीदार करने से

चाहे मजनू,फरहाद,या देवदास बन जाओ

क्या मिलेगा जिस्म तार तार करने से

आने का वादा है उनका ,आना तो नहीं

क्या फायदा है उनका इन्तजार करने से????

Tuesday, May 3, 2011

माँ कुछ दिन तू और ना जाती...!

माँ कुछ दिन तू और ना जाती
मैं ही नहीं,बहु कहती है
कहते सारे नाती पोते
माँ कुछ
दिन तू और ना जाती...!

हरिद्वार तुझको ले जाती
गंगा में स्नान करता,
कुम्भ और तीरथ नहलाता
शीतला माँ के जप कराता,
धीरे धीरे पांव दबाता
तू जब भी थककर सो जाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ...!!

रोज सबेरे मुझे जगाना !
बैठ पलंग पर भजन सुनाना
राम क्रिसन के अनुपम किस्से
तेरी दिनचर्या के हिस्से
कितना अच्छा लगता था जब
पूजा के तू कमल बनती!
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ....!
सुबह देर तक सोता रहता
घुटता मन में रोता रहता
बच्चे तेरी बातें करते
तब आँखों से आंसू झरते
हाथ मेरे माथे पर रखकर
माँ तू अब बच्चो को ना सहलाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ....!!!

कमरे का वो सुना कोना
चलना,फिरना,खाना,सोना
रोज सुबह ठाकुर नहलाना
बच्चो का तुमको टहलना
जिसको तू देती थी रोटी
गैया आकर रोज रंभाती !
माँ तू कुछ दिन तू और ना जाती....!!!

अब जब से तू चल गयी है
मुरझा मन की कली गयी है
वो ममत्व की सुन्दर मूरत
वो तेरी भोली सी सूरत
दृढ निश्चय और वर्ज़ इरादे
मन गुलाब की जैसे पाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती....!!!