Sunday, February 6, 2011

तौफिक

जिन्दा रहने के लिए ये तौफिक उठाये रखना !
दर्द की आंच को मुट्ठी में दबाये रखना !!

ये भी होता है किसी घोर तपस्या जैसा !
तेज आंधी में चरागों को जलाये रखना !!

गैर-मुमकिन तो नहीं,फिर भी बहुत मुश्किल है !
कागजी फूल पे तितली को बैठाये रखना !!

मोमबती को बुझा देगी अगर उठ आई !
तुम हवा को जरा बातो में लगाये रखना !!

कोई आहट कोई दस्तक,किसी चिड़िया की चहक !
घर की सुनसान हवेली में सजाये रखना !!

कितना मुश्किल है ये मासूम परिंदों के लिए !
खुद को चलाक शिकारी से बचाए रखना !!!

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना का सृजन किया है सिद्दार्थ जी आपने...काबिले तारीफ ...वाह..हर शब्द और भाव बेहतरीन ..

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