Tuesday, October 25, 2011

कैसे कहूं दीवाली है

आज की रात ये रौशन है
कल फिर सुबह काली है
झूठी होती इस दुनिया में
... सच का दिया जो खाली है
कैसे कहूं दीवाली है !

टूटी अब हर रिश्तों की डाली है
रिश्ता भी अब एक गाली है
प्यार की बगिया जो खाली है
रोया हर एक माली है
कैसे कहूं दीवाली है !

तिनका तिनका बिखरा भारत अब
घुट घुट कर रोती भारत माता अब
देशप्रेम का उपवन अब ये खाली है
जिसकी भारत माँ ही माली है
कैसे कहूं दीवाली है !

भ्रष्टाचार की गहरी रात ये काली है
नेता करते देश की बिकवाली है
फैला हर ओर धोखा है दलाली है
बेचारी जनता, नेता अत्याचारी है
कैसे कहूं दीवाली है !

देश भक्ति का दिया जो खाली है
देश प्रेम की गर्म रक्त से
सुलग रहे हर देश भक्त से
नयी क्रांति आने वाली है
कैसे कहूं दीवाली है !

जलो तुम स्वरक्त से दिया भर
भारत माँ तुम्हे जगाने वाली हैं
भारत की जगमग ज्योति से
दुनिया हुयी उजाली है
दूर नहीं अब नव भारत की
कुछ ही दूर दीवाली है
पर कैसे कहूं दीवाली है !

6 comments:

  1. सत्य को कहती अच्छी प्रस्तुति ...दीपावली की शुभकामनायें

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  2. बहुत ही अच्छी बात कही है सर!

    दीपावली की शुभकामनाएँ!

    सादर

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  3. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  4. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 27-10 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज ...

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  5. सच की सार्थक अभिवयक्ति..... शुभ दिवाली....

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