छत पर खड़ी हुयी लडकियाँ
इंतजार करती है मौसम के बदलने का
ताकि वक़्त के चेहरे पर मल सके गुलाल
और अपने लिए सिलवा सकें
छिट का नया ब्लाउज !
छत्त पर खड़ी हुयी लडकियाँ
सपने बुनती है अपना घोंसला
अंडे सेने के लिये !!
छत पर खड़ी हुयी लडकियाँ
अपनी आँखों भर लेना चाहती है
अनंत आकाश
और रखना चाहती है
अपनी सांस में धरती की सोंधी गंध !
छत पर खड़ी हुयी लडकियाँ
दूर तक देखती है
कतार में उड़कर जाते हुए बगुले को
और सोचती है -कैसा लगता होगा
जब नील समुन्द्र में पडती होगी
डूबते सूरज की लाल परछाई !!
सुबह से पहने
धुवे के लिबास को
साँझ अलगनी पर टांग कर
खुली हवा में बतियाती हुयी
अच्छी लगती है
छत पर खड़ी हुयी लडकियाँ !!!!
छत के सहारे छिपा सपनों का संसार, बहुत ही सुन्दर
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