माँ कुछ दिन तू और ना जाती
मैं ही नहीं,बहु कहती है
कहते सारे नाती पोते
माँ कुछ दिन तू और ना जाती...!
हरिद्वार तुझको ले जाती
गंगा में स्नान करता,
कुम्भ और तीरथ नहलाता
शीतला माँ के जप कराता,
धीरे धीरे पांव दबाता
तू जब भी थककर सो जाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ...!!
रोज सबेरे मुझे जगाना !
बैठ पलंग पर भजन सुनाना
राम क्रिसन के अनुपम किस्से
तेरी दिनचर्या के हिस्से
कितना अच्छा लगता था जब
पूजा के तू कमल बनती!
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ....!
सुबह देर तक सोता रहता
घुटता मन में रोता रहता
बच्चे तेरी बातें करते
तब आँखों से आंसू झरते
हाथ मेरे माथे पर रखकर
माँ तू अब बच्चो को ना सहलाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ....!!!
कमरे का वो सुना कोना
चलना,फिरना,खाना,सोना
रोज सुबह ठाकुर नहलाना
बच्चो का तुमको टहलना
जिसको तू देती थी रोटी
गैया आकर रोज रंभाती !
माँ तू कुछ दिन तू और ना जाती....!!!
अब जब से तू चल गयी है
मुरझा मन की कली गयी है
वो ममत्व की सुन्दर मूरत
वो तेरी भोली सी सूरत
दृढ निश्चय और वर्ज़ इरादे
मन गुलाब की जैसे पाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती....!!!
मैं ही नहीं,बहु कहती है
कहते सारे नाती पोते
माँ कुछ दिन तू और ना जाती...!
हरिद्वार तुझको ले जाती
गंगा में स्नान करता,
कुम्भ और तीरथ नहलाता
शीतला माँ के जप कराता,
धीरे धीरे पांव दबाता
तू जब भी थककर सो जाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ...!!
रोज सबेरे मुझे जगाना !
बैठ पलंग पर भजन सुनाना
राम क्रिसन के अनुपम किस्से
तेरी दिनचर्या के हिस्से
कितना अच्छा लगता था जब
पूजा के तू कमल बनती!
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ....!
सुबह देर तक सोता रहता
घुटता मन में रोता रहता
बच्चे तेरी बातें करते
तब आँखों से आंसू झरते
हाथ मेरे माथे पर रखकर
माँ तू अब बच्चो को ना सहलाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती ....!!!
कमरे का वो सुना कोना
चलना,फिरना,खाना,सोना
रोज सुबह ठाकुर नहलाना
बच्चो का तुमको टहलना
जिसको तू देती थी रोटी
गैया आकर रोज रंभाती !
माँ तू कुछ दिन तू और ना जाती....!!!
अब जब से तू चल गयी है
मुरझा मन की कली गयी है
वो ममत्व की सुन्दर मूरत
वो तेरी भोली सी सूरत
दृढ निश्चय और वर्ज़ इरादे
मन गुलाब की जैसे पाती
माँ कुछ दिन तू और ना जाती....!!!
kash aisa hota ..... ma kee yade dharohar hai .....sambhal ke rakhiyega....ve nahee to kya unaka aasheesh sadaiv aapke sath hai.
ReplyDeletehamare bhee shruddha suman unhe arpan kariyega .
बहुत संवेदनशील रचना
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