Tuesday, October 25, 2011

दीपावली

नेह-प्रेम,विस्वास- आस के नव उजियार भरे!


अलग -अलग भावो के मैंने अनगिनत दीप धरे!


दीप एक विस्वास का बाला तुलसी के आगे!

जोड़ रहा है दीया द्वार का मन के टूटते धागे!

जले आस्थाओ के दीपक घर,आँगन,कमरे!

रख आया में दीप प्रेम का विश्वासों के तट पर !

और नेह का दीप जलाया हर सुनी चौखट पर !

गीत कई गूंजे सुधियों में फिर भूले बिसरे !

सपनो के रंगों-सी झिलमिल ये बल्बों की लड़िया !

नहा रही है आज रौशनी से घर आँगन गलियां !

फुलझरियों -सी हँसती खुशियाँ झर-झर ज्योति झरे !


आप सभी मित्रो को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये!!!!!

2 comments:

  1. आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

    सादर

    ReplyDelete
  2. दीवाली की अतिशय शुभकामनायें।

    ReplyDelete