Sunday, March 4, 2012

होली के रंग

मेरी खवाहिश है ,होली के कुछ 
रंग चुराने  की

होली के उन रंगों में से
जो आस्मां ही नहीं
दिलो को भी रंग देते है
मगर,कुछ पल के लिए !


मैं उन रंगों से रंगुगा 
उन सुहागिन की माग को
जो बंजर हो गयी है
सूखे की धरा की तरह!

मैं उन रंगों से रंग दूंगा
जीवन से निराश हुए दिलो को
जो केवल नाउमीदी पाले बैठे है !

मैं उन रंगों से रंगीन करूँगा
उन युवाओं के सपनो को
जो हताशा भरी निगाहों से
हर दफ्तर में दस्तक देते है !

और मैं रंग भरूँगा
उन बूढी आँखों में
जो अपनों की ठुकराई है
और मौत की बाट जोहती है !

मेरी खवाहिश है,होली के कुछ
रंग चुराने की!!!!

आपको और आपके परिवार को
मेरी और मेरी परिवार की तरफ से होली की
अग्रिम बधाई !!!!

6 comments:

  1. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। होली की हार्दिक शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  2. होली की हार्दिक शुभकामनायें..

    ReplyDelete
  3. बहुत ही खुबसूरत रंगों से भरा हो आपका होली का त्यौहार.....

    ReplyDelete
  4. किसी की कविता को चुरा कर अपने नाम से लिखा ...गलत हैं ...



    शब्द और लिखने की ताकत हैं तो अपने दम पर खुद से लिखे ..........आभार

    ReplyDelete
  5. Anju ji aap ye kaise keh sakti hai ki ye kavita meri nahi hai.haa mujhse kuch galtiyan huyi hai.....lekin main sirf chori ki kavita nahi dalta......

    ReplyDelete