Friday, January 15, 2010

अजीब लड़का हू.............


अजीब लड़का हू खुद की जलना चाहता हू मैं

खुद को कही रख कर भूल जाना चाहता हू मैं

मेरे नसीब की खुशियाँ भी कब मिली मुझको

बस एक बार उम्र भर के आंशु बहाना चाहता हू मैं

न जाने कितनी मोहोब्बत है रंजोगम से मुझे

कोई भी दर्द हो दिल में छुपाना चाहता हू मैं

बहा बहा कर आंशु बिखेर चुका हू मैं

सिमट कर जरा अब मुस्कुराना चाहता हू मैं

जिसे एक उम्र दिल में छुपाये रखा है

वो राज आज सब को बताना चाहता हू मैं

वोही है याद जो अच कहा है लोगों ने

बाकी सब भूल जाना चाहता हू मैं

मुझे ज़माने ने पत्थर समझ लिया है मगर

मैं एक लड़का हू सब को बताना चाहता हू मैं

मुझसे जो रूठ गयी है ज़माने की खुशियाँ

तो उन खुशियों से भी रूठ जाना चाहता हू मैं

अजीब लड़का हू.............

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