Thursday, March 25, 2010

अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

जियेंगे मगर मुस्कुरा ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

लबों पे तराने अब आ ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

बहारें चमन में जब आया करेंगी,

नज़ारों की महफ़िल सजाया करेंगी,

नज़ारें भी हमको हँसा ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है,

जवानी जो लायेगी सावन की रातें,

ज़माना करेगा मोहब्बत की बातें,

मगर ......हम ये सावन मना ना सकेंगे,

के अब ज़िन्दगी में मोहब्बत नहीं है

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