करता हू तुम से प्यार शायद नहीं तुमको यह एहसास जीना चाहता था तुम्हारे साथ पर अब तुम से जुदा होकरपल पल मर रहा हू मैं तुम्हे देखना तो दूर एक दीदार के लिए तरस रहा हूकाश मेरे प्यार का होता तुम्हे एहसास तो मैं दूर नहीं तुम्हारे पास होता मुझे पता है तुम कभी नहीं आओगीजिन्दगी भर मुझे तड़पपाओगी फिर भी करता हू तुम्हारा इन्तजार शायद इसी को कहते है प्यार!!!!!!!!!!!
एक सुबह की तलाश मेंहम कितने अँधेरे पाएंगेकब तक आँखें मूंद कर हमहकीकत से मुह मोड़ पाएंगेगरीबो के लहू क्यूँ बहते हैहक मांगने के एवज मेंजो दिए जला सकते नहींकिस हक से घर जलाते हैक्यूँ खेत उजाड़े जाते हैक्यूँ आवाज दबाई जाती हैक्यूँ मसीहा ही कातिल बनेवो भरोसा के काबिल कैसे रहेजुल्म की हुकूमत और नहींसितम की सियासत मिटानी है अभीरात की गुलामी बहुत हुईअब नयी सुबह लानी है अभी....