Saturday, November 27, 2010

घायल छातियों में अब लहू का इंतज़ार है !!

किसी को खुद चंद साँसों का इंतजार है,
किसी को खुद सर्द रातों का इंतज़ार है !!

सीमाओं से निकल के तुम भी आ जाओ,
मुझे भी सरहदों को टूटने का इंतज़ार है !!

तेरा मेरा,काला गोरा;मिट जाए भेद सभी,
मुझ रिंद को ऐसे प्यारे हिंद का इंतज़ार है !!

सियासत की बिसात पे होगा फैसला कब,
बच्चों को भी अब मंदिर मस्जिद का इंतज़ार है !!

बेरहम दुनिया में जीना है बहुत मुश्किल,
जवां बेटी के हाथों में हल्दी का इंतज़ार है !!

हम देखते हैं ग़र्क और लाचार वतन जब,
मुल्क को अब तो बापू-नेहरु का इंतज़ार है !!

जीते थे हम और तुम,हम सबके लिए कभी,
क्यों इंसान को इंसान बनने का इंतज़ार है !!

घोल रखा है जहर मुल्क के हुक्मरानों ने,
हर घर में आज फिर शिव का इंतज़ार है !!

चढ़ रहे है ऊँचाई पर आज भी द्रोण यहाँ,
अंगूठा नही अब एकलव्य का इंतज़ार है !!

नन्हे बच्चे भी झुलस रहे हैं दूध की धार में,
घायल छातियों में अब लहू का इंतज़ार है !!

इतिहास के पन्नो में खो जाएँ हम भी कहीं,
माँ भारती से अब इस आशीष का इंतज़ार है !!

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