एक घुटन
जो समय के साथ साथ
बढती जा रही है
नित नए कडवे अनुभव
अपने अन्दर समेटे हुए
ये मन न जाने कब तक
दिन ब दिन
इसके बढ़ने को सहता जायेगा
एक तालाब की तरह शांत सा
ऊपर से दिखने में
जिसमें कभी लहरें नहीं उठती
कभी तूफान नहीं आता
किसी के शरारत का कंकर
थोड़ी देर के लिए हिला गया
बैचैन कर गया
और
इन बैचेनियों का दर्द सहते हुए
फिर भी शांत
बहुत चुभती है इसकी शान्ति
घुटन भरी शांति
न जाने कब लहरें उठेंगी
इन तालाब में
और बाहर आएगा इसका दर्द
इसकी घुटन
जो दे इनको वास्तविक शांति
लहरों
मत बनो सागर की बपोती
जानो
की इन्तजार में है तुम्हारे
एक तालाब भी !!!
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