कल रात मेरे मन में एक विचार कौधा उसको मैंने शब्द दे दिए और देखा तो कविता जैसा
कुछ का निर्माण हो गया....आप मित्रो से निवेदन है इसको पढ़े और बताये क्या ये कविता है?है तो
कैसा है .......आपका मैं सदा आभारी रहूँगा...............
प्रयास
जनता बहुत उदास है ,
कोई नेता आसपास है !
यहाँ बड़े बड़े पुजारी है
मंदिरों में उगी घास है !
हसने का राज बस इतना सा
पडोसी जरा उदास है !
कल दोस्त के घर जश्न था,
आज मेरे घर उपवास है !
देव उतरे धरती पर
स्वर्ग में उलास है !
आदमियों के बाजार में ,
मुझे बिकने का अभ्यास है !
सच ने ठगा हमेशा से ,
अब झूट का प्रयास है !
बहुत सुन्दर प्रयास
ReplyDeleteसन्नाट..रात भर का नहीं, दशकों की पीड़ा का परिणाम है यह।
ReplyDeleteवाकई बहुत सुन्दर प्रयास है ...और आगे भी ऐसी ही कवितायेँ आप रचेंगे ..यह कयास है
ReplyDeleteहँसने का राज बस इतना पडोसी जरा उदास है..
ReplyDeleteये कहाँ आ गए हम..
बहुत ही सटीक लिखा है आपने.
बहुत सटीक प्रस्तुति...
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