पूछा मैंने एक बार-
कौन है तेरी सहेली?
मुस्कुराकर रेत ने कहा ,
वोही जो संग तुम्हारे गाती है
उलझा कर तुम्हे गीतों में
धीरे से फिसल जाती है !"
मुझमें उसमें फर्क है इतना
मैं हकीकत वो एक सपना !
मेरी फिसलन दिखती है
महसूस भी हो जाती है !"
'....पर वो निगोड़ी देकर एहसास ,
सफ़र के साथ
फिसलन हाथो से
न जाने कहा खो जाती है ,
मत पूछ उसका नाम
"जिन्दगी" कहलाती है !!!!!'
बहुत खूब ... हाथ से फिसल जाती है रेत और जिंदगी ...
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