Tuesday, September 11, 2012

रेत की सहेली


                         

हाथ से फिसलती रेत से
पूछा मैंने एक बार- 
कौन है तेरी सहेली?

मुस्कुराकर रेत ने कहा ,
वोही जो संग तुम्हारे गाती है 
उलझा कर तुम्हे गीतों में 
धीरे  से फिसल जाती है !"

मुझमें उसमें फर्क है इतना 
मैं हकीकत वो एक सपना !
मेरी फिसलन दिखती है  
महसूस भी हो जाती है !"

'....पर वो निगोड़ी देकर एहसास ,
सफ़र के साथ 
फिसलन हाथो से 
न जाने कहा खो जाती है ,
मत पूछ उसका नाम 
"जिन्दगी" कहलाती है !!!!!'


1 comment:

  1. बहुत खूब ... हाथ से फिसल जाती है रेत और जिंदगी ...

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