Monday, August 8, 2011

उसकी मुस्कराहट

धूप ने आकर नन्ही बच्ची के गालो पर
अपने हाथ पोछ दिए
और बच्ची धीरे धीरे फूल में बदलने लगी
उसकी मुस्कराहट अब
फूल की मुस्कान थी
जो खुशबू बन कर
उड़ रही थी चारो और

उड़ते उड़ते वो खुशबू
जो असल में मुस्कराहट थी
उस नन्ही बच्ची की
एक चिड़िया में बदल गयी
जो फुदकने लगी यहाँ- वहा
अब इस मुस्कराहट के पंख थे
और आवाज भी
अब इससे हर कोई सुन सकता था !
चिड़िया बन कर मुस्कराहट
उड़ने लगी खुले आकाश में
हवा बही हर दिशा में
बहते बहते हवा बदल गयी नदी में
मुस्कराहट अब बह रही थी नदी में
मुस्कुराहट अब बह रही थी नदी बन कर
कही शांत,कही उफान पर
आखिरकार नदी मिल गयी समुन्दर में
और मुस्कराहट फैल गयी पूरी पृथ्वी पर
बच्ची की मुस्कुराहट
अब पृथ्वी की मुस्कुराहट थी!!!!!



9 comments:

  1. वाह वाह बहुत ही सुन्दर रचना…………दिल को भा गयी।

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत ... धरती की मुस्कान बनी रहे

    ReplyDelete
  3. इसी के सहारे टिका है जीवन का अस्तित्व

    ReplyDelete
  4. बहुत ही खुबसूरत रचना...

    ReplyDelete
  5. बहुत खुबसूरत रचना ........धरती यों ही मुस्कुराती रहे ..

    ReplyDelete
  6. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 11 - 08 - 2011 को यहाँ भी है

    नयी पुरानी हल चल में आज- समंदर इतना खारा क्यों है -

    ReplyDelete
  7. बच्चे की मुस्कराहट- सी ही प्यारी कविता !

    ReplyDelete
  8. bacche kee muskuraahat si sundar aur nadi ki tarah bahati hui kavita...
    bahut sundar...

    ReplyDelete
  9. वाह! क्या सुन्दर मुस्कराहट है जो आपकी लेखनी
    से उत्सर्जित हो ब्लॉग जगत में फैल गई है.
    सुन्दर अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार,

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.

    ReplyDelete