चुप भी रहते है तो एक तर्ज-ए -बया रखते है ,
हम वो कतरा है जो दरिया की जुबा रखते है !
लोग होते है वोही दुनिया में साहसी
साथ अपने जो चिरागों का धुआ रखते है !
सब से छुटा है तेरा साथ ,तेरे दीवाने
मोम के शहर में धागों की दुकान रखते है !
इश्क की जंग में सब हारे हुए शहजादे
चांदनी,धुल,हवा ,उजड़े मका रखते है !
दोस्तों,आग का,पानी से पता देते है
सिर्फ आंसू है जो दर्द का पता रखते है !
कितने बेदर्द है इस शहर के रहने वाले
दर्द होता है जहा हाथ वहा रखते है !
हमको सीने से लगा ले हमें मायूस न कर
जिन्दगी हम जो तेरा बहमो-गुमान रखते है !
पार कर देते है जो लोग दुःख का दरिया
वक़्त की रेत पर गजलो के निशा रखते है !!!
बहुत खूब..वाह..प्रभावी..
ReplyDeleteThanks praveen bhai
Deleteखुबसूरत अभिवयक्ति....
ReplyDeleteM recently passed out... Can understand what friendship is!!
ReplyDeleteBeautiful lines siddharth ji :)
http://apparitionofmine.blogspot.in/