Monday, July 30, 2012

चुप भी रहते है तो.........

चुप भी रहते है तो एक तर्ज-ए -बया रखते है ,
हम वो कतरा है जो दरिया की जुबा रखते है !

लोग होते है वोही दुनिया में साहसी 
साथ अपने जो चिरागों का धुआ रखते है !  

सब से छुटा है तेरा साथ ,तेरे दीवाने 
मोम के शहर में धागों की दुकान रखते है !

इश्क की जंग में सब हारे हुए शहजादे  
चांदनी,धुल,हवा ,उजड़े मका रखते है !

दोस्तों,आग का,पानी से पता देते है 
सिर्फ आंसू है जो दर्द का पता रखते है !

कितने बेदर्द है इस शहर के रहने वाले 
दर्द होता है जहा हाथ वहा रखते है !

हमको सीने से लगा ले हमें मायूस न कर 
जिन्दगी हम जो तेरा बहमो-गुमान रखते है !

पार कर देते है जो लोग दुःख का दरिया 
वक़्त की रेत पर गजलो के निशा रखते है !!!

4 comments:

  1. बहुत खूब..वाह..प्रभावी..

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  2. खुबसूरत अभिवयक्ति....

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  3. M recently passed out... Can understand what friendship is!!

    Beautiful lines siddharth ji :)

    http://apparitionofmine.blogspot.in/

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