Thursday, August 26, 2010

पास आने तो दो


इन हवाओ को कुछ गुनगुनाने तो दो
चाँद को दो घडी मुस्कुराने तो दो!!!
दो घडी की मुलाकात काफी नहीं
इस तरह रातों को नींद आती नहीं
रात को भोर का गीत गाने तो दो....
चाँद सा आप का यह दमकता बदन
फूलो की गंध जैसा महकता ये मन
प्यार के वादों को रंग लाने तो दो....
ये शर्म हया क्यूँ?ये संकोच क्यूँ?
प्रियतम की बाहों से परहेज क्यूँ?
दो पल को जरा भूल जाने दो
मेरे कंधे पर सर अपना रख दीजिये

धडकनों की जुबान कुछ समझ लीजिये
होटो को होटो के पास आने तो दो
चाँद को दो घडी मुस्कुराने तो दो.........

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