Monday, August 30, 2010

प्रभु मुझे क्यूँ छोड़ा अकेला????

एक रात,एक आदमी ने एक सपना देखा
उसने देखा की वो सागर तट पर प्रभु के साथ चल रहा है
गगन में चमक उठे उसके जीवन प्रसंग
और हर प्रसंग में उसने देखे
रेट पर पदचिन्ह के दो युगल
एक उसका अपना और दूसरा था प्रभु सवर्सक्तिमान का!
जब उसकी आँखों के सामने से अंतिम दृश्य गुजरा
तो उसने पाया अनेक बार के प्रसंगों में रेत पर अंकित है
केवल एक जोड़ी पदचिन्ह ,
और यही वो प्रसंग थे जब उसके जीवन में सबसे जयादा उद्दासी थी
सबसे ज्यादा था दुःख!!!!
उसने प्रभु से पूछा,प्रभू
तुमे तो सदा मेरे साथ चलने का वादा किया था
फिर संकट के हर समय रेत पर पदचिन्ह का एक जोड़ा क्यूँ है?
जब मुझको तुम्हारी सबसे जयादा जरुरत थी
तब ही तुमने छोड़ दिया मुझे अकेला???
प्रभू ने उतर दिया,मेरे प्यारे -प्यारे बेटे
मैं तो तुम्हे इतना प्यार करता हु
कभी भी चोदुंगा नहीं अकेला !
जब तुम कस्ट और संकट के समय में थे,
तब रेत पर पर पदचिन्ह का
का एक ही जोड़ा इसलिए अंकित हुआ
क्यूंकि मैं तुमको गोद में उठाये हुए था!!!!!!!!!

2 comments:

  1. अच्छी कविता लिखी है आपने .......... आभार

    कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
    (क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
    http://oshotheone.blogspot.com

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