Saturday, August 14, 2010

मेरे खवाबो के वतन.......


मेरे खवाबो के वतन.......
यही तोहफा है यही नजराना
मैं जो आवारा नजर लाया हु
रंग में तेरे मिलाने के लिए
कतरा-ऐ-खून-ऐ-जिगर लाया हु
ऐ गुलाबो के वतन
पहले कब आया हु कुछ याद नहीं
लेकिन आया था कसम खाता हु
फूल तो फूल है काटों पे तेरे
अपने होटों के निशान पाता हु
मेरे खवाबो के वतन
चूम लेने दे मुझे अपने हाथ अपने
जिन से तोड़ी कई जंजीरे
तुने बदला है मासियत का मिजाज
तुने लिखी है नयी तकदीरे
इन्कलाबो के वतन
फूल के बाद नए फूल खिले
कभी खाली न हो दामन तेरा
रोशनी रोशनी तेरी राहे
चांदनी चांदनी आंगन तेरा
माह्ताबो के वतन...........
सवतन्त्र दिवस की हार्दिक बधाई.....

2 comments:

  1. ... बेहतरीन रचना, बधाई !!!

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  2. स्‍वत्तंत्रता दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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