क्या बताऊँ कैसे खुद को दर बदर मैंने किया
उम्र भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया !
तू तो नफरत भी ना कर पायेगा इतनी शिद्दत के साथ
जिस बला का प्यार तुझसे बे-खबर मैंने किया!
कैसे बच्चो को बताऊँ रास्तो के पेचो-ख़म(घुमाव-फिराव),
जिन्दगी भर तो किताबो का सफ़र मैंने किया !
शोहरत की नजर कर दी शेर की मासूमियत
इस दिये की रौशनी को दर-ब-दर मैंने किया !
चंद -जस्बातो से रिश्तों के बचाने को"सिद्धार्थ"
कैसा कैसा जब्र (जोर,जबरदस्ती) अपने आप पर मैंने किया !!!
जब जीवन की घड़ियाँ यूँ ही बीत जायेंगी,
ReplyDeleteहमें अपनी ही, बहुत याद आयेगी।
खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteकैसे बच्चों को बताऊँ जिंदगी के पेचो ख़म ...
ReplyDeleteक्या बात है ... बहुत ही कमाल का शेर है जनाब ... सुभान अल्ला ...
वाह ...बहुत खूब
ReplyDeletekhubsurat gazal....
ReplyDeleteबहुत खूब.....
ReplyDeletebahut khub siddh ..
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