कमरे में शोर मचाता
स्टूल पर रखा पंखा
कुर्सियों पर चढ़े मटमैले कवर
टेबल पर रखे हुए चाय के जूठे प्याले
कविता लिखता हू मैं!!!!
मैं मुस्कुराता हू जबरन
ओढ़ ली है हँसी मैंने
कमरे की उमस ही जीवन है मेरा
बंद है सारी खिड़कियाँ
कविता जीता हू मैं !!!!!!!
स्टूल पर रखा पंखा
कुर्सियों पर चढ़े मटमैले कवर
टेबल पर रखे हुए चाय के जूठे प्याले
कविता लिखता हू मैं!!!!
मैं मुस्कुराता हू जबरन
ओढ़ ली है हँसी मैंने
कमरे की उमस ही जीवन है मेरा
बंद है सारी खिड़कियाँ
कविता जीता हू मैं !!!!!!!
कुछ न होकर भी बहुत ही अच्छी कविता लिखते है आप.....
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteकमरे का वातावरण मन को व्यक्त करने में बहुत सहायक होता है।
ReplyDeleteवाह सिद्धार्थ ..बहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteSushma ji,rekha ji,Praveen bhai,aur my fav Manav bhai aapka dhanyawaad...........
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