Saturday, November 12, 2011

सफ़र

क्या बताऊँ कैसे खुद को दर बदर मैंने किया
उम्र भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया !

तू तो नफरत भी ना कर पायेगा इतनी शिद्दत के साथ
जिस बला का प्यार तुझसे बे-खबर मैंने किया!

कैसे बच्चो को बताऊँ रास्तो के पेचो-ख़म(घुमाव-फिराव),
जिन्दगी भर तो किताबो का सफ़र मैंने किया !

शोहरत की नजर कर दी शेर की मासूमियत
इस दिये की रौशनी को दर-ब-दर मैंने किया !

चंद -जस्बातो से रिश्तों के बचाने को"सिद्धार्थ"
कैसा कैसा जब्र (जोर,जबरदस्ती) अपने आप पर मैंने किया !!!

7 comments:

  1. जब जीवन की घड़ियाँ यूँ ही बीत जायेंगी,
    हमें अपनी ही, बहुत याद आयेगी।

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  2. कैसे बच्चों को बताऊँ जिंदगी के पेचो ख़म ...
    क्या बात है ... बहुत ही कमाल का शेर है जनाब ... सुभान अल्ला ...

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