Thursday, November 24, 2011

कविता लिखता हू मैं!!!!

कमरे में शोर मचाता

स्टूल पर रखा पंखा

कुर्सियों पर चढ़े मटमैले कवर

टेबल पर रखे हुए चाय के जूठे प्याले

कविता लिखता हू मैं!!!!

मैं मुस्कुराता हू जबरन

ओढ़ ली है हँसी मैंने

कमरे की उमस ही जीवन है मेरा

बंद है सारी खिड़कियाँ

कविता जीता हू मैं !!!!!!!

5 comments:

  1. कुछ न होकर भी बहुत ही अच्छी कविता लिखते है आप.....

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  2. अच्छी अभिव्यक्ति ...

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  3. कमरे का वातावरण मन को व्यक्त करने में बहुत सहायक होता है।

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  4. वाह सिद्धार्थ ..बहुत बढ़िया ...

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  5. Sushma ji,rekha ji,Praveen bhai,aur my fav Manav bhai aapka dhanyawaad...........

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