जुबान हिलाओ तो हो जाये फैसला दिल का !
अब आ चुका है लबो पर मुआमला दिल का !!
किसी से क्या हो तपिश में मुकाबिला दिल का !
जिगर को आँख दिखाता है अबला दिल का !!
कसूर तेरी निगाह का है ,क्या खता उसकी !
लगावातो ने बढाया है हौसला दिल का !!
शबाब आते ही ऐ काश मौत भी आती !
उभारता है इसी सिन में वल्बाला दिल का !!
हमारी आँख में भी अश्क -ऐ-गम ऐसे है !
की जिसके आगे भरे पानी अबला दिल का !!
कुछ और भी तुझे ऐ"सिद्धार्थ"बात आती है !
वोही बुतों की शिकायत वोही गिला दिल का !!
वाह आखिरी शेर कमाल है।
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल...
ReplyDeletebahut achchha laga padhkar ......sundar
ReplyDeleteवाह .. क्या शेर निकले हैं इस गज़ल में ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteबहुत खूब।
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