मन की चौखट लांघ गया
कर जीवन-पथ मे छांह गया
अनदेखे कोमल तंतु से
कोई उलझी लटें संवार गया
एक ऐसी सरस बयार चली
अंतस को सुना मल्हार चली
तेरे बोलों की बांसुरिया
प्राणों मे सुर संचार चली
तन बजने लगा मंजीरा सा
मन मतवाला हुआ मीरा सा
दिन-रैन नेह की होली ने
जीवन रंग दिया अबीरा सा
मैना मनकी बोले भोली
रग-रग मे करती ठिठोली
पलकों की झुकी तूलिका ने
तन-मन मे रंग दी रंगोली
कर जीवन-पथ मे छांह गया
अनदेखे कोमल तंतु से
कोई उलझी लटें संवार गया
एक ऐसी सरस बयार चली
अंतस को सुना मल्हार चली
तेरे बोलों की बांसुरिया
प्राणों मे सुर संचार चली
तन बजने लगा मंजीरा सा
मन मतवाला हुआ मीरा सा
दिन-रैन नेह की होली ने
जीवन रंग दिया अबीरा सा
मैना मनकी बोले भोली
रग-रग मे करती ठिठोली
पलकों की झुकी तूलिका ने
तन-मन मे रंग दी रंगोली
अहा, मन भा गयी यह चित्रकारी।
ReplyDeleteखुबसूरत चित्रण के साथ सुंदर रचना...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteAap sabhi ka dhanyawaad
ReplyDeleteचित्र और रचना दोनों ही बहुत खुबसूरत हैं
ReplyDeleteगज़ब की भावमयी रचना।
ReplyDeleteक्या लिखें बहुत खूबसूरत भाव हैं।
ReplyDeleteRekha ji,vandana ji,sunita ji aapka dhanyawaad jo aapne rachna par samay diya.......
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