Saturday, July 9, 2011

जुबान

जुबान हिलाओ तो हो जाये फैसला दिल का !
अब आ चुका है लबो पर मुआमला दिल का !!


किसी से क्या हो तपिश में मुकाबिला दिल का !
जिगर को आँख दिखाता है अबला दिल का !!


कसूर तेरी निगाह का है ,क्या खता उसकी !
लगावातो ने बढाया है हौसला दिल का !!


शबाब आते ही ऐ काश मौत भी आती !
उभारता है इसी सिन में वल्बाला दिल का !!


हमारी आँख में भी अश्क -ऐ-गम ऐसे है !
की जिसके आगे भरे पानी अबला दिल का !!


कुछ और भी तुझे ऐ"सिद्धार्थ"बात आती है !
वोही बुतों की शिकायत वोही गिला दिल का !!

5 comments:

  1. वाह आखिरी शेर कमाल है।

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  2. bahut achchha laga padhkar ......sundar

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  3. वाह .. क्या शेर निकले हैं इस गज़ल में ... बहुत लाजवाब ...

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