मेरा अक्स
सोचा था मिलूंगा उससे कुछ बातें करूंगा
ये ख्वाब मेरा आँखों मैं भरा,आँखों मैं रह गया
एक पल अनदेखा अनजाना सा
मिला था किसी मोड़ पर , मिलकर खो गया
मिटटी में हाथ सानकर एक बच्चा मेरे गाँव में
खिलोने का घर मेरा बनाते बनाते सो गया
दो दिनों की जिंदगी है कहते सब लोग हैं
एक दिन तुझे महसूस किया एक दिन तू खो गया
हो सके तो दोस्त मेरे दो चार कदम मेरे साथ चल
चलते चलते अक्स भी मेरा मुझसे जुदा हो गया ................................
कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी
ReplyDeleteSanjay ji dhanyawaad jo aapko acchi lagi......
ReplyDelete