वो दिन भी क्या हसीं थे जब हम तुम दोनों करीब थे...
हज़ारों खिल उठी थी कलियाँ तेरे मेरे दिल करीब थे...
जहाँ का डर ना रुसवाई का ना डर था खुदा से कोई...
वो कैसा इश्क का जूनून था वो कैसा मेरा हबीब था...
अजीब वो ज़िन्दगी थी अजीब थी वो लड़ाइया...
घडी भर में वो रूठना दो पल में वो मनाना...
वो कैसा बचपन था वो कैसा बचपन का प्यार था...
वो कैसा चुलबुला यार था वो कैसा मेरा प्यार था...
वो याद आते है दिन मुझे वो जो मेरा पहला प्यार था...
ना वो प्यार है ना वो बचपना है..
याद आया अब तो ये ख्याल था...
वो कैसा मेरा प्यार था वो कैसा मेरा यार था...
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