Sunday, April 3, 2011

अपनी मौत की खबर

दिल को भी हम राह पर लाते रहे है !
खुद को भी कुछ-कुछ समझाते रहे है!!

चादर अपनी बढे -घटे ये फ़िक्र नहीं !
पाँव यूँ ही हम फैलाते रहते है !!

चुगने देते है चिड़ियों को खेत अपने !
फिर यूँ ही बैठे पछताते रहते है !!

तपिश बदन की बढती है जब फुरकत(विरह) में !
नल के नीचे बैठ कर नहाते रहते है !!

रात भिगोते है दामन को अश्को से !
सुबह धुप में उसे सुखाते रहते है ! !

कही किसी की नजर ना हमको लग जाये !
अपनी मौत की खबर उड़ाते रहते है !!

2 comments:

  1. nivedan hai yellow colour padne me vadha ban raha hai....
    kuch keejiye...
    aabhar

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  2. safed background men peele se likha hua pakdne men kuchh dikkat hui.koi aik colour badalne par vichaar kijiyega.

    नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .

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