Thursday, April 14, 2011

प्यार बाद में...करना पहले भरोसा तो करना सीखो


कश्तियाँ प्यार की रेत पर नही चलती.....
कश्तियाँ प्यार की
रेत पर नही चलती

यकीं नही है तो
कह
कियू नही देती
आखिर तुम्हे किसने रोका है ..?
प्रणय के उपवन में हारें कैसे लाएगी
बसंत
जब तक न होगा
शक और सवालों का अंत
जब गुलो के शजर ही न होंगे
गर जड़े ही न होंगी

यकीन की जमीं में
वो दरख्त..
कैसे फूलेंगे फलेंगे

जिन्दगी दो तरह से जीते है
लोग
इक जिनकी ऊँगली
पकड कर जिन्दगी
उन्हें चलना सिखाती है
दुसरे वो ..
जो जिन्दगी को
चलना सिखाते है
बांह मरोड़ कर उसकी
चाहें जंहा ले जातें है ..
कई जिद के आगे हार जाते है
तो कुछ जिद पर
जब अड़ जातें है
तो तकदीर तस्वीर और ताबीर
बदल देते है .
उनको इतना यकीन . होता है

खुद के फैसलों और अपनी जिद पर

और वो खोखले नही होते

वो जमाने के लिए कुछ भी हो

खुद के लिए दोगले नही होते

या तो रुक जाओ ..
डरते डरते सफर मत करो
चल पड़े हो तो कभी मत रुको

मृत्यु के बाद भी ..

या तो रुक जाओ ...
या फिर अविरल बह जाओ ..
मै इन्तजार करूंगा तुम्हारा .
.
जबाब दो तो भी

वर्ना तुम्हारे मौन मै ही पढ़ लूँगा

तुम्हारे मन की बात ..

हो गर तुम्हे खुद पर विश्वास

तो ही करना तुम मुझ पर विश्वाश

प्यार बाद में...
करना
पहले भरोसा तो करना सीखो

7 comments:

  1. baht samjh aur sandesh detee ye rachana acchee lagee .
    har rishte ka aadhar hee aapsee vishvas hai.........
    sarthak lekhan.

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर ...सही है जब भरोसा ही नहीं तो प्यार का वृक्ष कैसे फलेगा ...सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  3. वाह ... बेहतरीन शब्‍दों का संगम है इस अभिव्‍यक्ति में ।

    ReplyDelete
  4. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete