Thursday, June 10, 2010

दस्तक.....

पहली शर्त जुदाई है इश्क बड़ा हरजाई है

खवाब करीबी रिश्तेदार लेकिन नींद परायी है

चाँद तरसे सारी उम्र तब कुछ धुप कमाई है

मैं बिखरा हु डाली से दुनिया क्यूँ मुरझाई है

दिल पर किसने दस्तक दी तुम हो या तन्हाई है

सूरज टूट कर बिखरा था रात ने ठोकर खायी है

दरिया दरिया नाप चुके मुठी भर गहरायी है....

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