Sunday, September 5, 2010

शिक्षक

जो मानव मन में ज्ञान का दीपक जलाता है,

अज्ञान का तम मन मंदिर से दूर भगाता है!

मानव रचना का शिल्पी कहलाता है,

यही मनुज रूपी देवता शिक्षक कहलाता है!

रण के बीच में जब अर्जुन दुर्बल पड़े

,यह सोच बैठे सामने मेरी स्वजन खड़े!

तब श्री कृष्ण ने गुर का आसन लिया,

बीच रण के ही अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया!

ज्यूँ ही श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान था बांटा,

उखाड़ फैंका अर्जुन के मन में फंसा हुआ मोह का काँटा!

जो भूले हुए को उसका कर्त्तव्य याद दिलाता है,

यही मनुज रूपी देवता शिक्षक कहलाता है!

जब मेंढ़ टूटी खेत की गुरु ने आरुणि को,

कैसे भी हो शिष्य रोकना है इस खेत से छूटते पानी को!

न होगा जो पानी तो फ़सल बर्बाद होगी,

इस विद्यालय के शिष्यों की कैसे फिर क्षुधा शांत होगी?

आरुणि चल दिए और आये न कई घंटों बाद भी,

चिंता हुई गुरु को आया चेहरे पर विषाद भी!

जाकर देखा तो पानी है रुका हुआ,

शिष्य उनका है टूटी मेंध की जगह लेटा हुआ!

और जाकर उन्होंने उसको उठा लिया,

अपने इस शिष्य को सीने लगा लिया!

वो जो गिरते हो को भी सीने लगाता है,

यही मनुज रूपी देवता शिक्षक कहलाता है!

और क्या कहूं में शिक्षक की महत्ता के बारे में,

वो ही होता है किरण अज्ञान के अंधियारे में!

आपको निस्वार्थ भाव से ज्ञान वो देता है,

उत्थान हो आपका यही ख्वाइश वो रखता है!

देख आपकी प्रगति को जो मन ही मन हर्षाता है,

यही मनुज रूपी देवता शिक्षक कहलाता है! 

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!!!!

2 comments:

  1. एक इन्सान के जीवन में शिक्षक ही सबसे बड़ा करता धर्ता होता है| शिष्यों को भी उनका यथोचित सम्मान करना चाहिए|
    पहले तुमपे हक है उस्ताद का
    बाद में जा के हक है माँ बाप का
    वो तुमको सिखाता है इल्मे शऊर
    जिहालत तबीयत से करता है दूर
    जहा तक बने उनकी इज्जत करो
    दिलो जान से उनकी खिदमत करो
    जो तुम उनकी खिदमत बजा ले जाओगे
    तो खादिम से मखदूम बन जाओगे

    ब्रह्माण्ड

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  2. बहुत सुन्दर रचना...badhai ...

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